Saturday, July 30, 2011

कहानी घर घर की


पार्वती :श्रुति, कहां है तू, सुबह से ढूंढ रही हूं तुझे कहां चली गयी थी तू।

श्रुति: ममा मैं वोह अंदर, कमल चाचु से गांड मरवा रही थी, बताइये क्या काम था मुझसे।

क्या कहा, तू चाचु से गांड मरवा रही थी, शरम नहीं आयी तुझे। वहां तेरे पापा हाथ में लंड लिये तेरी चूत और गांड मारने का इंतज़ार कर रहे हैं और तू यहां चुदवा रही है। पता नहीं हर सुबह ओफ़िस जाने से पहले पापा को तेरी ज़रुरत होती है, वो तेरी चूत और गांड चोदे बिना कहीं नहीं जाते।

पता है ममा, लेकिन मैं क्या करुं कमल चाचु मुझे ज़बरदस्ती कमरे में ले गये। और तुम तो जानती हो मर्द का लौड़ा देखते ही कैसे मेरी चूत और गांड रस छोड़ने लगती है, इसलिये मैं न नहीं कर पायी और चाचु से चुद गयी।

पार्वती: कमल आज जो कुछ भी हुआ अच्छा नहीं हुआ, तुम जानते हो ओम को ओफ़िस जाने के लिये कितनी देरी हो रही है, मगर वो श्रुति को चोदे बिना कहीं नहीं जायेंगे, फिर तूने श्रुति को क्युं चोदा, पूरा दिन पड़ा था उसे चोदने के लिये, तू बाद में भी तो उसे चोद सकता था।

कमल: वो भाभी क्या हुआ न, मैं आंगन में सुबह सुबह टहल रहा था तो देखा श्रुति वहां सलवार उतार के संडास कर रही है, वो नाज़ारा देखते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैं श्रुति को अपने कमरे में ले जाके उसकी गांड चाटी और फिर उसकी गांड मारी। सोरी भाभी, फिर कभी ऐसा नहीं होगा, मैं ओम भैया के ओफ़िस जाने के बाद चोद लूँगा।

पार्वती: हां ठीक है कमल, तुमने श्रुति को संडास करते हुए देखा और तुम्हारा लंड खड़ा हो गया, पर तुमने श्रुति को क्युं अपने कमरे में ले गये, मुझसे कहा होता तो मैं तुमको अपनी गांड मारने दे देती, कम से कम ओम को तकलीफ़ तो नहीं होती। क्युं क्या तुम्हें अपनी भाभी की गांड चोदने में मज़ा नहीं आता।

कमल: अरे नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है, आपकी गांड मारने के लिये तो अपनी जान भी दे सकता हूं, आपकी गांड में इतनी ताकत है के सारी दुनिया इसे चोदेगी तो भी इसकी खूबसूरती कम नहीं होगी। और आपकी गांड का स्वाद तो ज़बरदस्त है। सोरी भाभी गलती हो गयी।

श्रुति: हां मामा सॉरी , कल से कभी ऐसा नहीं होगा। मुझे माफ़ कर दो। चलो पापा के कमरे में चलते हैं, मेरी गांड भी पापा के लंड को तरस रही है।

श्रुति: सोरी पापा, आपको मेरे लिये वैट करना पड़ा, वो क्या है न कमल चाचु ने मुझे सुबह सुबह संडास करते हुए देख लिया तो, उनका दिल बहक गया और उन्होने मुझे अपने कमरे में ले जाके चोद डाला। वो भी बहुत शर्मिंदा हैं आज के लिये, प्लीज हमें माफ़ कर दीजिये पापा, अगली बार ऐसा नहीं होगा, आपसे जी भर के चुदवाने के बाद ही किसी और से चुदवाउंगी।

ओम: नहीं बेटी, मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है, बस तुम तो जानती हो, सुबह जब घर से निकलता हूं तो तुम्हारी गांड चाटके और चोदके ही निकलता हूं, मेरा ऐसा मानना है के ऐसा करने से दिन अच्छा गुज़रेगा। तुम्हें तो पता है के हमारा भड़वागिरी का धंधा है सब कस्टमर पे डिपेंड करता है, अगर कस्टमर को हमारे यहां की लड़कियां पसंद नहीं आयी तो फिर मुझे तुम्हारी मा पार्वती को उनके पास भेजना पड़ता है जो मुझे पसंद नहीं है।

मुझे पता है पापा, चलिये अब अपनी बेटी को खूब रगड़ रगड़ के चोदिये, मुझे भी आपका लौड़ा बहुत पसंद है पापा, मुझे इसे चूसने में और अपनी चूत और गांड में लेने में बहुत मज़ा आता है। मेरी चूत आपकी है, मेरी गांड भी आपकी है। खूब चोदिये पापा मुझे।
 
आई ऍम प्राउड के तुम मेरी बेटी हो, मैं कितना किस्मत वाला हूं के मुझे पार्वती जैसी रांड बीवी मिली है , और तुम जैसी छिनाल बेटी को पैदा किया है। चल अब जल्दी से अपने कपड़े उतार , वैसे मैने नाश्ता भी नहीं किया, अपनी चूत से मूत पिला और अपनी गांड से मुझे पीले पीले केक्स खिला।अपनी गांड में कुछ बचा के रखा है या सारा हग दिया सुबह सुबह??


नहीं पापा अभी भी आपके नाश्ते के लिये कुछ बचा के रखा है, आयिये आपको अपना गांड में पकाया नाश्ता खिलाती हूं।

पार्वती: बाप और बेटी का ऐसा प्यार कितना अच्छा लगता है न कमल, काश मेरा भी कोई बाप होता तो मैं उस से खूब चुदवाती।

तुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर र्र थुस्सस्सस्सस्सस्सस्सस्स रथुस्सस पुर्रर्र तूउर्र

कमल: भाभी ये तुमहारी गांड से कैसी कैसी आवाज़ें आ रही है, लगता है ओम भैया ने खूब मरी है रात को तुम्हारी गांड।

पार्वती: हां रे कमल, कल तेरे भैया ओम ने मेरी चूत और गांड चोद चोद के एक कर दी। और उसपर से कल रात खाना भी मसालेदार खा लिया था, ये सब उसी का असर है।

कमल:तो चलो न भाभी मेरे कमरे में मुझे भी बहुत भूख लगी है, मैने भी नाश्ता नहीं किया, ओम भैया श्रुति की गांड से खा लेंगे आप मुझे अपनी गांड से खिला देना।

अगला भाग

ओह भैया येह क्या कर रहे हो, छोड़ो न भैया मुझे बहुत काम है।

ओह आशा तुम्हारी कातिल जवानी से ज़्यादा देर दूर नहीं रह सकता मेरी क्यूट लील सेक्सी सल्ट सिस्टर ।

अभी घंटे भर पहले ही तो मेरी गांड मार चुके हो, फिर इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो गया तुम्हारा लौड़ा??

अगर तुम्हारी जैसी छिनाल बहन घर में गांड हिलाते हिलाते घूम रही हो तो मुझ जैसे बहनचोद का लौड़ा कैसे चुप रहेगा। मैं बस यहां से गुज़र रहा था, देखा के तुम्हारा पैजामा तुम्हारी गांड में अटक गया है, ये सीन देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं चला आया तुम्हारी गांड चाटने को
तेरी गांड चूसने का बेहत दिल कर रहा है आशा, चल उतार अपनी सलवार और टेसट लेने दे मुझे तेरी गांड का।

मगर भैया मा ने देख लिया तो गज़ब हो जायेगा, अगर मा को पता चल गया के मैं इस टाइम तुमसे अपनी गांड चटवा रही हूं तो मुझे मार डालेगी, जानते नहीं मा ने स्ट्रिक्टली कहा है अगर चोदना चुदवाना है तो सुबह के ९ बजे से पहले और रात के दस बजे के बाद।

अरे मा तो खुद रंडी की तरह अपने चौकीदार नंदु से चुदवा रही है अभी अभी देख के आ रहा हूं। और वैसे भी मा ने चोदने चुदाने को मना किया है, खाने पीने पर तो कोई रोक नहीं है ना, मैं मा से कह दूंगा मैं आशा की गांड से अपना नाश्ता खाने और चूत से जूस पीने आया था। तब तो मा कुछ नहीं कहेगी।अरे भाई हां यह बात तो बिल्कुल सही कही तुमने, मां तो खाने पीने पर कभी नाराज़ नहीं होती।

मां कविता बाहर दरवाज़े से सब कुछ देख रही थी और मन ही मन खुश हो रही थी उसके अपने बच्चे कितने प्यार से एक दूसरे के साथ रहते हैं और एन्जॉय करते हैं।

ये सब क्या चल रहा है तुम भाई बहन में?

अरे मां वो, वो, क्या है न के, बस कुछ नहीं ऐसे ही आशा से बात करने आ गया था, कुछ नहीं मां कोइ खास बात नहीं है।

मैं ने सब सुन लिया है पर तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं उल्टा मैं बहुत खुश हूं तुम दोनों में इतना प्यार और अपनापन है। जो कुछ करना है जल्दी जल्दी करो, मैं हाल में बैठती हूं।

थैंक्स मां तुम कितनी अच्छी हो, वैसे तुम भी हमें ज्वाइन करो न, जब तक भैया मेरी गांड चूसता है, मैं भी तुम्हारी गांड को टेस्ट करती हूं और फिर हो सके तो कुछ मैं भी तुम्हारी गांड से खा लुंगी, आओ न मां।

नहीं बेटी , मेरी फ़्रेंड पार्वती बहुत दिनों बाद आयी है मुझसे मिलने मैं उस से हाल में बातें करती हूं तुम लोग जल्दी से ये सब खत्म करके अपने अपने काम पे लग जाओ।

और बताओ कविता सब कुछ कैसा चल रहा है?
सब ऊपरवाले की दया है, घर में खुशियां ही खुशियां हैं, पार्वती
और तुम्हारे बच्चे दिखाई नहीं दे रहे कहां है?

अरे वो दोनो तो किचन में खूब मस्ती कर रहे हैं, मेरा बेटी आशा बहुत बड़ी छिनाल है, अपने भाई समीर से गांड चुसवा रही है, अभी तक तो उसके मुंह में हग भी दिया होगा। और समीर भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता है, वो भी अपनी बहन की चूत और गांड का पूरा पूरा ख्याल रखता है। रात को मेरी चूत और गांड भी एक करके चोदता है मादरचोद। मैं बहुत किस्मत वाली हूं पार्वती जो मुझे ऐसा परिवार मिला है।

बहुत खुशी हुई ये जानकर तुमने अपने बच्चों को इतने अच्चे और सेक्सी संस्कार दिये हैं। मैने भी अपने परिवार को बिल्कुल चुदक्कड़ बना दिया है, कोई भी किसे भी जब चाहे जितना चाहे जिधर चाहे चोद सकता है। लेकिन एक बेटे की कमी महसूस होती है, मेरी सिर्फ़ एक बेटी है जो मुझसे भी बड़ी रांड है, लंड के बगैर एक घंटा भी नहीं रह सकती। मेरे ओम का भडवागिरी का धंधा है जो मस्त चल रहा है। बस ऊपरवाले की दया है।

तभी पार्वती को किसी का फोन आता है।

हैलो पार्वती भाभी मैं पल्लवी बोल रही हूं, आपके लिये एक बुरी खबर है, श्रुति को पुलिस ने बाज़ारू रांड समझ कर अर्रेस्ट कर लिया है।

क्या हुआ पार्वती, तुम इतनी घबरायी हुई सी क्युं हो, सब ठीक तो है न?

अब क्या बताउं कविता, न जाने इस श्रुति ने फिर क्या कर दिया है। पुलिस उसे रंडिगी के जुर्म में पकड़ के ले गयी है। मुझे अभी इसी वक्त पुलिस स्टेशन जाना होगा।

श्रुति बेटा ये सब क्या है, क्युं पुलिस तुम्हें यहां पकड़ के लायी है। क्या रंडीपन किया तुमने ??

ममा वो क्या है न के मैं रोड एक किनारे पे बैठ के मूत रही थी, तभी एक १४ साल का बच्चा आके
मुझे और मेरी चूत को घूरने लगा, मैने उस से पूछा, क्युं बे साले क्या देख रहा है, कभी किसी लड़की को मूतते हुए नहीं देखा है क्या? तो वो कहने लगा देखा है तो मगर ऐसी मस्त चूत कभी नहीं देखी। मुझे उसकी बात अच्छी लगी और मैं उसकी पैंट खोल के उसका लौड़ा मुंह में लेके चूसने लगी। इतने में पल्लवी आंटी ने मुझे वहां देख लिया और शायद उन्होने ही पुलिस को कंप्लेंट कर दी।
श्रुति तुझसे कितनी बार कहा है, अगर चोदना चुदाना है तो उस लड़के को घर लेके आना था, ऐसे रोड पे तमाशा करने की क्या ज़रूरत थी। तुम्हें तो मालूम है न वो पल्लवी के बारे में, साली रांड छिनाल , खुद को लौड़ा नहीं मिला चुदवाने के लिये तो जल गयी और मेरी बेटी को अंदर करवा दिया। श्रुति तुम्हें सावधान रहना होगा, अगर तू उस लड़के को घर ले आती तो घर वाले कितने खुश होते, मैं भी उस से गांड मरवा लेती, मगर तेरी जल्दबाज़ी ने सब कुछ खराब कर दिया।

ममा सोरी, अगली बार मै ध्यान रखूंगी । मामा मुझे यहां से छुड़ाओ, ये लोग बहुत मारते हैं, गांड देखो लाल कर दिया है मादरचोदों ने मार मार के, मां अगर तुम इंस्पेक्टर साहब से गांड मरवा लोगी तो ये मुझे छोड़ देंगे, ममा प्लीज मेरे लिये एक बार गांड मरवा लो न प्लीज ममा, तुम्हारी गांड की तो सारी दुनिया दीवानी है, एक बार तुम्हारी गांड चोदेगा तो तुम जो कहोगी मानेगा।

ठीक है मैं अभी कुछ करती हूं, तू फ़िकर मत कर।
 गाव का डॉक्टर

एमबीबीएस की डेग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाओं में हो गयी गाँव'वासियों ने आप'ने जीवन में गाओं में पह'ली बार कोई डॉकटोर देखा था. इसके पहले गाओं नीम हाकीमों , ओझाओं और झार फूँक करनेवालों के हवाले था. जल्द ही गाओं के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा कर'ने लग गाये रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव की ज़िंदगी मैं बड़ा महटवा पूरण समझा जाने लगा. गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पासस आने लगे. मैं भी किसी भी वक़्त माना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए

गाँव के बाहर मेरा बंगलोव था. इसी बंगलोव मैं मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव मैं मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव मैं लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुंदर सुंदर थी. एईसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टेरजी की. नाम भी उसका था गोरी. सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पैर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था. गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उसपर आया और उनकी शादी हो गई. पैर जोड़ी बड़ी बेमेल थी. कहाँ गोरी, और कहाँ राजन.

राजन बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था. मुझे तो उसके मर्द होने पैर भी शक़ था. और ये बात सच निकली क़रीब क़रीब. उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठाकुरैईं मेरे घर पैर आई. उसने मुझे कहा की उसे बड़ी चिंता हो रही है की बहू को कुच्छ बक्चा वागेरह नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूच्हा की क्या प्रोबलें हो सकता है लड़का बहू उसे कुच्छ बताते नहीं हैं और उसे शक है की बहू कहीं बाँझ तो नहीं.

मैने उसे धधास दिया और कहा की वो लड़का -बहू को मेरे पासस भेज दे तो मैं देख लूंगा की क्या प्रोबलें है उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखून, घर की इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. रज़्ज़ान और उसकी बहू. देखते ही लगता था की बेचारी गोरी के साथ बड़ा अनायाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम गोरी लड़की. भरे पूरे बदन की बाला की ख़ूबसोरत लड़की और कहाँ वो राजन, कला कालूटा मारियल सा. मुझे राजन की किस्मत पैर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज कारवाने मेरे क्लिनिक पैर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गाये राजन बड़ा नरम दिल इंसान था. अपनी बाला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दुख देना उसे मंज़ूर ना था.

उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन की अभी तक वो अपनी बीवी को छोड़ नहीं पाया है मैं समझ गया की क्यों बच्चा नहीं हो रहा है जब गोरी अभी तक वीर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मान मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. गोरी का कौमार्या लूटने का. दरअसल जब जब राजन गोरी के सुंदर नंगे जिस्म को देखता था अपने उपर काबू नहीं रख पता था और इस'से पहले की गोरी सेक्श के लिए तैयार हो राजन उसपर टूट पड़ता था.

नतीजा ये की लंड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को ये सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था. उसे चिल्लाते देख बेचारा राजन सब्र कर लेता था फिर. दूसरे राजन इतना कुरुप सा था की उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिच्छाया. मैने एक दिन ठाकुरैईं और राजन को बुलाया. उनहइन बताया की ख़राबी उनके बेटे मैं नहीं बल्कि बहू मैं है और उसका इलाज करना होगा. छ्होटा सा ओपेरातिओं. बस बहू ठीक हो जाएगी. बुधिया तो खुस हो गयी पैर बेटे ने बाद मैं पूच्हा,
डॉकटोर साहब. आख़िर क्या ओपेरातिओं करना होगा?

हाँ राजन तुम्छैइन बताना ज़रूरी है नहीं तो बाद मैं तुम कुच्छ और सम'झोगे.

हाँ हाँ बोलीए ना डॉकटोर साहब. देखो राजन. तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग तोड़ा सा खोलना होगा ओपेरातिओं करके. तभी तुम उस'से संभोग कर पाऊगे और वो माँ बन सकेगी. क्या? पैर क्या ये ओपेरातिओं आप करेंगे. मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगा लेतना पड़ेगा? हाँ ये मजबूरी तो है पैर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पऊगे! वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी. तो क्या आप जानते हैं ये सब बात. वह भॉंचाक्का सा बोला. हाँ! ठाकुरैईं ने मुझे सारी बात बता दी थी. अब वो नरम पद गया. प्लेआसए डॉकटोर साहब. कुच्छ भी कीजिए. चाहेओपेरातिओं कीजिए चाहे जो जी आए कीजिए पैर कुच्छ एसा कीजिए की मैं उसके साथ वो सब कर सकूँ और हमारा आँगन बच्चे की किलकरी से गूँज उठे. वरना मैं तो गाँव मैं मुँह नहीं दिखा सकूंगा किसी को. खंडन की इज़्ज़त का मामला है डॉकटोर साहब. उसने हाथ जोड़ लिए ठीक है घबरओ नहीं. बहू को मेरे क्लिनिक मैं भारती कर दो. दो चार दिन मैं जब वो ठीक हो जाएगी तो घर आ जाएगी. जब तुम गाँव वापस आओगे तो बस फिर बहू के साथ मौज करना. ठीक है डॉकटोर साहब. मेरे आने तक ठीक हो जाएगी तो मैं आपका बड़ा उपकर मानूंगा. और इस तरह गोरी मेरे घर पैर आ गई. कुच्छ दीनो के लिए शिकार जाल मैं था बस अब. करने की बारी थी. गोरी अच्छी मिलंसार थी. खुल सी गई थी मुझसे. पैर जब वो सामने होती थी अपने उपर कबो रखना मुश्किल हो जाता था. बाला की कंसिन थी वो जवानी जैसे फूट फूट कर भारी थी उसके बदन मैं पैर मैं ज़ब्त किए था. मौक़ा देख रहा था. महीनों से कोई लड़की मेरे साथ नहीं सोई थी. लंड था की नारी बदन देखते ही खड़ा हो जाता था. डूसरी प्रोबलें ये थी मेरे साथ की मेरा लंड बहुत बड़ा है जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब लंबा होता है और उसका हेअड़ का दिया का हो जाता है जैसे की एक लाल बड़ा सा टमाटेर हो. और पीच्े लंबा सा , पत्थर की तरह कड़ा एकड्म सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लंड!

गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था. पीच्'ली रात तो मैने किसी तरह गुज़ार दी पैर डूस'रे दिन बढ़हवास सा हो गया और मुझे लगा की अब मुझे गोरी चाहिए वरना कहीं मैं उस'से बलात्कार ना कर बैठून. एआईसी सुंदर कामनिया काया मेरे ही घर मैं और मैं प्यासा. रात्री भोजन के बाद मैने गोरी से कहा की मुझे उस'से कुच्छ ख़ास बातें करनी हैं उसके कसे के बारे मैं क्लिनिक बंद करके मैने उस'से कहा की वो अंदर मेरे घर मैं आ जाए. गाँव की एक वधू की तरह वो मेरे सामने बैठी थी. एक भरपूर नज़र मैने उसपर डाली. उसने नज़रें झुका ली. आब मैने बेरोक टॉक उसके जिस्म को आपनी नज़रों से टोला. उफ़्फ़्फ़्फ़ कपड़ों मैं लिपटी हुई भी वो कितनी काम वासना जगाने वाली थी. देखो गोरी मैं जनता हूँ की जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति मैं शायद नहीं करनी चाहिए, पैर तुम्हारे कसे को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा जान ज़रूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है की तुम सच सच बताओगी. मैं जो पूछूँ उसका ठीक ठीक जवाब देना. तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है और उसने ये भी बताया है की क्यों तुम दोनो का बचा नहीं हो रहा. क्या बताया उन्ोंने डॉकटोर साहब? राजन कहता है की तुम माँ बनने के काबिल ही नहीं हो. वो तो डॉकटोर साहब वो मुझसे भी कहते हैं और जब मैं नहीं मानती तो उन्होने मुझे मारा भी है एक दो बार. तो तुम्छैइन क्या लगता है की तुम माँ बन सकती हो?

हाँ डॉकटोर साहब. मेरे मैं कोई कमी नहीं. मैं बन सकती हूँ. तो क्या राजन मैं कुच्छ ख़राबी है हाँ डॉकटोर साहब. क्या? साहब वो. वो. उनसे होता नहीं. क्या नहीं होता राजन से. वो साहब. वो. हाँ. हाँ. बोलो गोरी. देखो मुझसे कुच्छ छ्छूपाओ मत. मैं डॉकटोर हूँ और डॉकटोर से कुच्छ छ्छुपाना नहीं चाहिए. डॉकटोर साहब. मुझे शरम आती है कहते हुए. आप पराए मर्द हैं ना. मैं उठा. कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की मैं भी चिटकनी लगा के मैने कहा, लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता. और मुझसे तो शरमाओ मत. हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्छैइन नंगा भी करना पड़े. तुम्हारी सास और पति से भी मैने कह दिया है और उन्होने कहा है की मैं कुच्छ भी करूँ पैर उनके खंडन को बच्चा दे दूं. इसलिए मुझसे मत शरमाओ. डॉकटोर साहब वो मेरे साथ कुच्छ कर नहीं पाते.

क्या? मैने अनजान बन हुए कहा. मुझे गोरी से बात कर'ने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं उस आल्र गाँव की युवती को कुच्छ भी कर'ने से पह'ले पूरा खोल लेना चाह'ता था. वो. वो मेरे साथ मेरी योनी मैं दल नहीं पाते. ऊहू. यूँ कहो ना की वो मेरे साथ संभोग नहीं कर पाते. हाँ. राजन कह रहा था. की तुम्हारी योनी बहुत संकरी है तो क्या आजतक उसने ख़भी भी तुम्हारी योनी मैं नहीं घुसाया? नहीं डॉकटोर साहब. नज़र झुकाए ही वो बोली. तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो. तुम्हारी शादी को तो साल ब्भर से ज़्यादा हो चुका है हाँ साहब. वो कर ही नहीं सकते. मैं तो तड़प'टी ही रह जाती हूँ. यह कह'ते कह'ते गोरी रूवांसी हो उठी. पैर वो तो कहता है की तुम सह नहीं पति हो. और चीखने लगती हो. चीलाने लगती हो. साहब वो तो हैर लड़की पहली बार. पैर मरद को चाहिए की वो एक ना सुने और अपना काम करता रहे. पैर ये तो कर ही नहीं सकते इनके उस्मैन ताक़त ही नहीं हैं इतनी. सूखे से तो हैं पैर वो तो कहता है की तुमको संभोग की इकचह्चा ही नहीं होती. झूठ बोलते हैं साहब. किस लड़की की इकचह्चा नहीं होती की कोई बलीष्ट मरद आए और उसे लूट ले पैर उनहइन देख कर मेरी सारी इकचह्चा ख़तम हो जाती है पैर गोरी मैने तो उसका. काम अंग देखा है ठीक ही है वो संभोग कर तो सकता है कहीं तुम्हारी योनी मैं ही तो कुच्छ समस्या नहीं.

नहीं साहब नहीं. आप उनकी बातों मैं ना आइए पहले तो हमेशा मेरे आगे पीच्े घूमते थे. की मुझसे सुंदर गाँव मैं कोई नहीं. और अब. वो सुबकने लगी आप ही बताइए डॉकटोर साहब. मैं शादी के एक साल बाद भी कुवनरी हूँ. और फिर भी उस घर मैं सभी मुझे ताना मरते हैं अरे नहीं गोरी. मैने प्यार से उसके सर पैर हाथ फेरा. अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पैर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेक्क उप करना है क्या देखेंगे डॉकटोर साहब? तुम्हारे बदन का इंस्पेक्टीओं तो करना होगा. जीीई.? उपर से ही देख लीजिए ना डॉकटोर साहब. जो देखना है उपर से तो तुम बहुत ख़ूबसोरत लगती हो. एकदम काम की देवी. तुम्छैइन देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जय. फिर मुझे देखना ये है की आज तक तुम कुवनरी कैसे हो. चलो लेटो बिस्तर पैर और सारी उतारू. जजाजज्ज़िईइ. डॉकटोर साहब. मैं मैं मुझे शरम आती है

डॉकटोर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा? वो लेट गयी मैने उसे सारी उतरने मैं मदद की. एक ख़ूबसोरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लौसे और पेतिक्ॉत मैं था. लेता हुआ वो भी मेरे बिस्तर पैर मेरे लंड मैं हलचल होने लगी मैने उसका पेतिक्ॉत तोड़ा उपर को सरकाया और अपना एक हाथ उंदार डाला. वो उंदार नंगी थी. एक उंगली से उसकी छूट को सहलया. वो सिसकी. और आपनी झांघाओं से मेरे हाथ पैर हल्का सा दबाव डाला. उसकी छूट के होंट बड़े तिघ्ट थे. मैने दरार पैर उंगली घूमने के बाद अचानक उंगली उंदार घुसा दी. वो उच्चली. हल्की सी. एक सिसकरी उसके होंठों से निकली. थोड़ी मुश्किल के बाद उंगली तो घुसी. फिर मैने उंगली थोड़ी उंदार भहर की. वो भी साल भर से तड़प रही थी. मेरी इस हरकत ने उसे तोड़ा गर्मी दे दी. इसी बीच एक उंगली से उसे छोड़ते हुए मैने बाक़ी उंगलियाँ उसकी छूट से गांड के छ्छेद तक के रास्ते पैर फिरनी सुरू कर दी थी.

कैसा महसूस हो रहा है अच्छा लग रहा है हाँ डॉकटोर साहब. तुम्हारा पति ऐसा करता था. तुम्हारी योनी मैं इस तरह अंगुल डाल'ता था? नााअःह्छिईन्न्न. डॉक्कत्तूऊओर्र्र स्ससाहाअबबब. गोरी अब छ्त्पटाने लगी थी. उसकी आँखें लाल हो उठी थी. अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्छैइन आकचा लगेगा? हांणन्ं. वे तो कुच्छ जान'ते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पैर ही मढ़ रहे हैं अगली बार जब अपने पति के पास जाना तो यहाँ. योनी पैर एक भी बल नहीं रखना. तुम्हारे पति को बहुत अकचा लगेगा. और वो ज़रूर तुम पैर चढ़ेगा. आकचा डॉकटोर साहब. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वहा राजोर रखा है जानती हो ना. कैसे करना है संभोग कर'ने से पह'ले इसे सज़ा कर आप'ने पति के साम'ने कर'ना चाहिए. मैने गोरी की छूट को खोद'ते हुए उस'की आँखों में आँखें डाल कहा. हाँ. डॉकटोर साहब. लेकिन उन्होने तो कभी भी मुझे बाल साफ़ कर'ने के लिए नहीं कहा. गोरी ने धीरे से कहा. वो गई और थोड़ी देर मैं वापस मेरे बेडरूम मैं आ गई. हो गया. तो तुम्हें राज़ोर इस्तेमाल करना आता है कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो? मैने पूछा. जी जी कर दिया. शादी से पहले मैने काई बार राज़ोर पह'ले भी इस्तेमाल किया है

अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ. वो आई और लेट गई. फ़िछली बार से इस बार प्रतिरोध काम था. मैने उसके पेतिक्ॉत का नडा पकड़ा और खींचना सुरू किया. पेतिक्ॉत खुल गया. उसकी कमर मुश्किल से 18-19 इंच रही होगी. और हिप्स सीज़े क़रीब. 37 इनचेस. झांघाओं पैर ख़ूब

झांघाओंमानसलता थी. गोलाई और मादकटा. विशाल पुत्ते. इस सुंदर कमुक दृश्या ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. डॉकटोर साहब. ये क्या कर रहे हैं आप तो मुझे नंगी कर रहे हैं
अरे देख तो लूं तुमने बल ठीक से साफ़ किए भी की नहीं. और बल काटने के बाद वहाँ पैर एक क्र्ेअँ भी लगनी है अब इस'से पहले वो कुच्छ बोलती. मैने उसका पेतिक्ॉत घुटनों से नीचे तक खींच लिया था. आती सुंदर. बाला की कमुक. तुम बहुत ख़ूबसोरत हो गोरी. मैने तोड़ा साहस के साथ कह डाला. उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के ज़ोर को तोड़ा काम कर दिया. और उसका फ़ायदा उठाते हुए मैने पूरा पेतिक्ॉत खींच डाला और दूर कुर्सी पैर फेंक दिया. यक़ीन मानिए एसा लगा की अभी उसपर चढ़ जाओं. वो पतला सपाट पेट. छ्छोटी सी कमर पैर वो विशाल नितंब. वो तिघ्ट वेणुस मौंत. सिर्फ़ एक ब्लौसे पीएसए मैं रह गया था उसका बदन. भरपूर नज़रों से देखा मैने उसका बदन. उसने शरम के मारे अपनी आँखों पैर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गयी ताकि मैं उस'की छूट न देख सकूँ. शायद छूट दिखाने मैं शर्मा रही थी. ज़रा पल्टो गोरी. शरम नहीं कर'ते फिर तुम इट'नी सुंदर हो की तुम्हें तो आप'ने इस मस्त बदन पैर गर्व होना चाहिए. नहीं डॉकटोर साहब. पराए मर्द के साम'ने मे मुझे बहुत शरम आ रही है पल्टो ना गोरी. कहकर मैने उसके पुत्तों पैर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा. दो कुऊबसूरत झांघाओं के बीच मैं वो कुँवारी छूट चमक उठी. गोनों गोरे. दोनों छूट की पंखुड़ियान फड़क सी रही थी. शायद उन्होने भाँप लिया था की किसी मस्त से लंड को उनकी खूसबू लग गई है उसकी छूट पैर थोड़ी सी लाली भी च्हाई थी.

इधर मेरे लंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे उंडेर्वेआर के लिए मेरे लंड को कॉंट्रोल मैं रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे तिघ्ट उंडेर्वेआर ने मेरे लंड को छ्िपा रखा था. आब मैने उसकी छूट पैर उंगलिया फिराई और पूछा. गोरी क्या राजन. टूमैन यहाँ पैर मेरा मतलब तुम्हारी योनी पैर चूंता है नहीं साहब. यहाँ छ्ही यहाँ कैसे छूमेंगे? तुम्हारे इन पुत्तों पैर मैने उसके बुमस पैर हाथ रख कर पूच्हा. नहीं डॉकटोर साहब आप कैसी बातें कर रहे हैं अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा एक मादकाता सी आ गई थी. छुड़ने के लिए तैयार एक गरम युवती की सी. वो कहाँ कहाँ चुंता है तुम्छैइन? जी. यहाँ पैर उसने आपने चूची की तरफ़. इशारा किया. जो इस गरम होते माहौल की खुसबू से सीज़े मैं काफ़ी बड़े हो गाये थे और लगता था की जल्दी उनको बाहर नहीं निकाला तो ब्लौसे फट जाएगा. उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी.

मैं बिस्तर पैर चढ़ गया मैने दोनो हथेलियँ उसके दोनो मूम्मों पैर रखी और उनहइन कमुक आंदज़ मैं मसलना सुरू किया. वो तड़पने लगी डॉकटोररर्र. स्सााहहाब. क्या कर रहैईन है आप. यह कैसा इलाज आप कर रहे हैं कैसा लग रहा है गोरी? मुझे अचची तरह से देख'ना होगा की राजन ठीक कहता है या नहीं. वह कहता है तुम हाथ लगाते ही ऐसे चीख'ने लग जाती हो. बहुत आच्छा लग रहा है साहब. पैर आप से यह सब कर'वाना क्या अचची बात है और डाबऊं? मैने गोरी की बातों पैर कोई ध्यान नहीं दिया और उसकी मस्त चूचियाँ दबानी जारी रखी. हाँ. आप'का इनको हल्के हल्के दबाना बहुत अचच्ा लग रहा है राजन भी ऐसे ही मसलता है तेरे इन ख़ूबसोरत स्तनों को. नहीं साहब आपके हाथों मैं मर्दानी पकड़ है मैने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया. बूब्स के भर से अचानक उसका ब्लौसे फट गया. और वो कसे कसे दूध बाहर को उछाल कर आ गाये वह क्या ख़ूबसूरत कमुक आपसरा बैठी थी मेरे सामने एकदम नग्न. 36-18-37 एकदम दूध की तरह गोरी. बाला की कंसिन. मुझसे रुकना मुश्किल हो रहा था.

आब मैने बलात उसके मुख को पकड़ उसके हूंतो को चूसना सुरू कर दिया. इस'से पहले वो कुच्छ समझ पति उसके होंठ मेरे होंठो को जकड़ मैं थे. मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से छिपता लिया था. और दूसरे हाथ ने ज़बरदस्ती. उसकी झांघाओं के बीच से जगह बना कर उसके गुप्ताँग मैं उंगली डाल दी थी. उसके क्लटोरिस पैर मैने ज़बरदस्त मसाज़ की. उसके पूत्ते उठाने लगे थे. वो मतवाली हो उठी थी. मैने हूंतो को चूमा. कभी राजन ने इस तरह किया तेरे साथ सच कहना गोरी? नहीं डॉकटोर साहब. वह तो सीधे उपर चढ़ जाते हैं और थोड़ी देर हिल'के सुस्त पद जाते हैं यही तो मुझे देख'ना है गोरी. राजन कह रहा था तुम चिल्लाने लग जाती हो? बहुत अकचा. पैर अब. जाँच पड़ताल ख़तम हो गई क्या डॉकटोर साहब? आप और क्या क्या करेंगे मेरे साथ

आब मैं वही करूँगा जो एक जवान शक्तिसालि मरद को, एक सुंदर कमुक ख़ूबसोरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पैर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए. तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है तेरा कौमार्या टूटने के लिए बेताब है और आज ये मर्दाना काम. मेरा काम आंग करेगा रात भर इस बिस्तर पैर मेरी उंगली जो अभी भी उसकी छूट मैं थी. ने अचानक एक जालजाला सा महसूस किया. ये उसका योनी रस था. जो योनी को संभोग के लिए तैयार होने मैं मदद करता है मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस छूट के बाहर बहकर झांघाऊँ को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई छूतर उपर को उठे और उसके मूँह से एक सिसकी भारी चीख निकल पड़ी. बाद मैं तोड़ा सन्यत होकर गोरी बोली. डॉकटोर साहब. पैर इससे मैं रुसवा हो जाओंगी. मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला की मैं आप के साथ सोई थी. आप मुझे जाने दीजिए. मुझे माफ़ केजीए.

तू मुझे मरद समझती है तो मुझ पैर भरोसा रख. मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा. बल्कि तुझे हैर मुसीबत से बचाऊंगा. तेरा मरद तुझे और भी ख़ुशी ख़ुशी रखेगा. वो कैसे डॉकटोर साहब?

क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पैर चढ़ेगा वो तेरे साथ संभोग कर सकेगा. जो काम वो आजतक नहीं कर पाया तुम दोनो की शादी के बाद आब कर सकेगा. और तब तू उसके बच्चे की माँ भी बन जाएगी. पैर कैसे डॉकटोर साहब. कैसे होगा ये चमत्कार. साहब? गोरी. प्यारी. मैने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना सुरू करते हुई कहा. तेरी योनी का द्वार बंद है उसे आज मैं आपने प्रचंद भीषण लंड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर आपना लंड उस्मैन घुसा सके और आपना वीरया उस्मैन डाल सके जिससे तू माँ बन सकेगी. मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी. उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़. क्या लगती थी वो आपनी पूरी नग्नता मैं उन सॉलीद बूब्स पैर वो गोल छ्छोटी चुचिया भी बहुत बेचेन कर रही थी मुझे. उसका पूरा बदन आब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पैर पसीने की हल्की छ्छोटी बूँदें भी उभर आई थी. मेरा लंड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और आब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था.

डॉकटोर साहब मुझे बहुत दर लग रहा है मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए ना. जाने दीजिए. मेरा बदन. उईइमाा. मुझ पैर यक़ीन करो गोरी. ये एक मरद का वादा है तुझसे. मैं सब देख लूंगा. तेरा बदन तड़प रहा है गोरी. एक मरद के लिए तेरी छूट का बहता पानी. तेरे कसते होइ बूब्स साफ़ कह रहे हैं की आब तुझे संभोग चाहिए. साहब. हाँ. गोरी मेरी रानी. बोल. मैं माँ बनूँगी ना. हाँ. मेरा मरद मुझे आपने साथ रख लेगा ना. मुझे मरेगा तो नहीं ना. हाँ. गोरी. तू बिल्कुल चिंता ना कर.. तो साहब फिर आपनी फ़ीस ले लो आज रात. मेरी जवानी आपकी है ओह. मेरी गोरी. आ. जाअ. और हम दोनो फिर लिपट गाये मेरा लंड विशाल हो उठा. डॉकटोर साहब बहुत प्यासी हूँ. आज तक किसी मर्द ने नहीं सीनचा मुझे. मेरे टन बदन की आग बुझा दो साहब..

तो फिर आ मेरी झांघाऊँ पैर रख दे अपने छूत्टर और लिप्त जा मेरे बदन से. थोड़ी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज़ के बटनो से खेल रहे थे. कमीज़ उतरी. फिर मेरी पंत. गोरी की नज़र मेरे बदन को घूर रही थी. मेरा उंडेर्वेआर इससे पहले फट जाता मैने उसे उतर डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ. मेरे लंड ने आपनी पूरी ख़ूबसोराती से अपने शिकार को पूरा तनकर उठाकर सलाम किया. आपने पूरी लंबाई और बड़े टमाटेर जीतने लाल हेअड़ के साथ गोरी बड़े ज़ोर से चीखी. और बिस्तर से उठकर नंगी ही दरवाज़े की तरफ़ भागी. क्या हुआ गोरी? मैं घबरा गया. मैं ताना हुआ लंड लेकर उसकी तरफ़ दौड़ा. नही मुझे कुच्छ भी नहीं कर'वाना. नहीईए मुझ... मुझे जाअ.... जाने दो.गोरी फिर चीखी. क्या हुआ गोरी? लेकिन मैं उसकी तरफ़ बदता ही रहा. साहब आपका ये लू. लूंनद. ये लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है ब्ब्बापप्ररीए बाप. यह तो गढ़े के जैसा है नहीं यह तो मुझे चीर देगा. आओ गोरी. घबराऊ मत. असली मोटे और मज़बूत लंड ही योनी को चीर पाते हैं गौर से देखो इसे छ्ूकर देखो. इस'से प्यार करो और फिर देखो ये तुम्छैइन कीत'ना पागल कर देगा. डॉकटोर साहब. है तो बड़ा ही प्यारा. और बेहद सुंदर मुस्तांद सा. मेरा तो देखते ही इसे चूमने का मान कर रहा है उुुफ़्फ़्फ़्फ़. कितना बड़ा है पैर साहब ये मेरी छूट मैं कैसे घुस पाएगा इतना मोटा. मैं तो मार जाऊंगी. राजन का लंड तो इसके सामने बहुत छ्होटा है जब वो ही नहीं जाता तो. ये कैसे.

यही तो मरद की संभोग कला कौशूल होता है मेरी रानी. छूट खोलना और उसे ढंग से छोड़ना. हैर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी छूट जैसी. कुँवारी. क़रारी. तू दर मत सुरू मैं तोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू छुड़वते छुड़वते तक जाएगी पैर तेरा मान नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लंड से खेलो मेरी राअनीए. कह कर मैने उसे उठा लिया बाहों मैं और बिस्तर पैर लिटा दिया. उसकी छूट ही नहीं बल्कि घुटनों तक झांघा भी भीग चुकी थी. बूब्स एकदम सॉलीद और बड़े बड़े हो गाये थे. साँस के साथ उपर नीचे. साँस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी.
मैं बिस्तर पैर चढ़ा और उसके पाएत पैर बैठ गया. उन्नत उठे बूब्स के बीच मैं मैने आपने लंबे खड़े लंड तो बिता दिया और दोनो बूब्स हथेली से दबा दिए मेरा लंड बूब्स के बीच मैं फंस गया. उंगलियों से बूब्स के निपपले रग़दते हुए मैं बूब्स को मसलने लगा और लंड से उसके सनकरे क्लेवागे को फुक्क़ करने लगा. उप स्टरोके मैं लंड का लाल हेअड़ नंगा होकर उसके लिप्स से तौछ करता और डॉवन स्टरोके मैं वल्ले की छुड़ाई. उटेजना मैं आकर गोरी ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे की मेरे लंड का हेअड़ उस्मैन जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. की आवाज़ करने लगी

मैने और ज़ोर लगाया उपर को तो लगभग आगे से 2 -3 इंच लंड उसके मुँह मैं घुस गया. थोड़ी देर की कशमकश के बाद मोटिओं सेट हो गया. और मैं मोटिओं स्वर्ग मैं था. लंड ने स्पीड पकड़ ली थी. गोरी के मुँह भी हेअड़ को मस्त चुस रहा था. और शाफ़्ट उंदार तक जा कर उसके गले तक हित कर रही थी. बूओब्स बड़े विशाल हो गाये थे. आब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और गोरी के बूब्स पैर बैठ गया. और मैने जितना पोससीब्ले था लंड उसके मुँह मैं घुसा दिया. मेरी झांघाओं के बीच कसा उसका पूरा बदन मोटिओं बिना पानी की मच्लई की तरह तड़प रहा था.

थोड़ी देर के बाद मैने लंड को निकाला और आब गोरी ने मेरे दोनो एग्गस बराबर टेस्टीकलेस को चटना सुरू किया. बीच मई वो पूरे एक फूट लंबे लंड पैर आपनी जीभ फिरती तो कभी सूपदे को छत लेती. थोड़ी देर के बाद मैने 69 की पॉसीटिओं ले ली तो उसे मेरे काम आंगो और आस पास के

अरेआ की पूरी अक्सेस्स मिल गई अब वो मेरे छूत्टर भी चटने लगी मैने भी गांड का छ्छेद उसके मुँह पैर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे छूत्टर को हाथों मैं लिया और मेरी गांड के छ्छेद पैर जीभ से चटा. इस बीच मैने भी उसकी छूट को आपनी जीभ से चटा और छोड़ा. पैर वाक़ई उसकी छूट बड़ी कसी थी जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी उस मैं एक बार तो मुझे भी लगा की कहीं वो मार ना जाई मेरा लंड घुस्वते समाया. फिर मैने उसे पलटा कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल छूत्टर भी चुसे और छाटे. आब गोरी बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकरी भर रही थी और बीच बीच मैं चिल्ला भी उठति थी. वो मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़े हुए थी और आब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी. डॉकटोर साहब. छोड़ दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे उपर. घुसा दो डॉकटोर साहब. दया करो मेरे उपर. नहीं तो मैं मार जाऊंगी. चाहे मैं मार ही जाओं पैर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे उंदार डाल दो. देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब आपने हतोड़े से. वह क्या मर्दाना मस्त लंड है डॉकटोर साहब आपका. कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जै और अपने कपड़े खोलकर आपके बिस्तर पैर लेट जै आओ साहब आ जाओ घुसा दो. उुुफ़्फ़्फ़्फ़्फ़.

मेरा लंड भी आब कमउक्ता की सारी हदें पैर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व शापे की तरह पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पैर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पैर ज़रा कस कर दबाया. छूट इतनी लुबरिकाटेड थी की लंड का हेअड़ तो घुस ही गया. आह. मरगगा. !! मैं मार गई. डॉकतूर्रर स्साहह्हहाआबबब. घबराऊ नहीं मेरी जान. और मैने लंड को हाथ से पकड़ तोड़ा और घुसाया. वो मुझे ढाका देने लगी वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मारे. तब मैने उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक्कर. उसपर लाते गया. अपनी छ्हात्ती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लंड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा. वो इतनी ज़ोर से चीखी मोटिओं किसी ने मार ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था. मेरे लंड का क़रीब 7 इंच उंदार घुसा हुआ था. और शायद उसकी कौमार्या की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी फ़ात्नी बाक़ी थी. थोड़ी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली.

डॉकटोर साहब मुझे छ्छोड़ दो. मैं नहीं सह पाऊँगी आपका लंड. मैने उसके हूंतों पैर अपने हूनत रखे और एक ज़बरदस्त क़िसस दिया जिस्मैईन उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गाये थे. उसकी लंबी बहूं ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी तँगन भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से छुड़ने के लिए पॉसीटिओं ले रही हो. थोड़ी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैने लंड को तोड़ा सा बाहर निकलते हुए एक भरपूर शॉट मारा. लंड का ये प्रहार इतना शक्तिसालि था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ एक हल्की सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्या आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दूसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस'की छूट से रस धार बह निक'ली और बूरी तरह हांफ़ रही थी.
अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैने ज़ोर डार धाक्कों के साथ उसे छोड़'ना शुरू किया. उस'की तिघ्ट छूट की दीवारों से रग़ाद ख़ाके मेरा लंड छ्हीला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बूरी तरह छोड़'ता रहा. फिर मैने लंड उस'की छूट से खींच लिया और लंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया मोटिओं सोड़ा वाटेर की बोट्थले खोली हो. फिर मैने उसे डोगग्य स्टयले में कर दिया और पीच्े से लंड उस'की छूट में डाल उसे छोड़'ने लगा. अब गोरी भी मस्ती में आ गयी और मुझे ज़ोर से छोड़'ने के लिए उक'साने लगी. छोड़ो मुझे. डॉकटोर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉकटोर साहब. छ्छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. फाड़ दो मुझे. और ज़ोर से छोड़ दो मुझे. मैं दासी हूँ आपकी. आपकी सेवा करूँगी. रोज़ रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी. आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी. और जब जब आपका लंड चाहेगा तब तब छुड़वाने के लिए आपके बिस्तर पैर लेट जाऊंगी. पैर मुझे ख़ूब छोड़ो साहब. और ज़ोर से और तेज़ी से छोड़ो साहब. उस रात मैने गोरी को दो बार छोड़ा. दूसरे दिन दोपहर में ठाकुरैईं क्लिनिक में आ गयी मैने उसे बताया की चेक्क उप हो गया है और शाम तक छ्होटा सा ओपेरातिओं हो जाएगा और कल आप'की बहू आप'के घर चली जाएगी. ठाकुरैईं संतुस्ट होकर वापस हवेली चली गयी

आज रात गोरी ख़ुद उतावाली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने का. उसने आज मोटिओं मैने चाहा वैसे कर'ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैने गोरी को तरह तरह से काई पोसे में छोड़ा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह'ना है और क्या कर'ना है सब सम'झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैने उसे समझा दिया की गोरी का ओपेरातिओं हो गया है डॉकटोर साहब गोरी अब मा बनेगी ना? हाँ पैर तुम जल्द बाज़ी मत कर'ना. अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रह'ना. और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेक्क उप के लिए भेज'ते रह'ना. यह बहुत साव'धानी का काम है राजन ने कुच्छ आसमंजस से हाँ भारी. फिर वह गोरी को ले गया. गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लिनिक में आती रही. मैं उसे शाम के वक़्त बुलाता जब गाँव के मरीज़ नहीं होते. रात 8 - 9 बजे तक उसे रख उसकी ख़ूब छुड़ाई कर'ता. गोरी भी ख़ूब मस्ती के साथ मुझ से छुड़'टी.

दो महीने बाद गोरी के ग़रभ तहर गया. मैने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब छुड़वाए. उसकी छूट को तो मेरे 10" के लंड ने पहले ही भोस'दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लंड आराम से चला जाता. राजन भी बहुत ख़ुश था की डॉकटोर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है गोरी पह'ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. ठाकुरैईं को जब पता चला की गोरी के पान'व भारी हो गाये हैं तो उस'ने क्लिनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मेद में आप'ना क्लिनिक चला रहा हूँ. 
Vijay Sharma

Friday, July 29, 2011

Kajal’s Jungle

Most men have worked in offices and maybe even dreamed and fantasized over our female colleagues or staff. Here is an actual group seduction of our sweeper woman Kajal which was a co-operative teamwork planned by my colleagues and me. Ours is a small company of marketing and sales with a small staff of not more than 10 permanent employees.


The boss rarely turned up in the office. And I was made the manager of the company. Only five of us used to be in office after 3pm. That was the peon, the delivery boy, the accountant, the computer operator, and me. Kajal is about 23 years old coming from a small village.

So she wears these really dirty old sarees with half torn blouses which barely covered her heavy bulky voluptuous figure. She has the most massive balls (I think 39) I’ve ever seen and the ass was just unbelievably tight and round (40) contradicting the extremely sleek waist not more than 28. So the overall figure is about 39-28-40. Obviously she had caught everyone attention in the office. But as I told you many others didn’t have the time to bother chasing her after their working hours. There was only the 5 of us who were really desperate to get lucky with her. Except for me the other four boys were all too young and stupid types. This gave me full command and authority of planning the exploitation of Kajal’s innocence.

Previously Kajal used to come in the morning hours to do the cleaning of the office before anyone came. That’s when I had got to survey her full figure in complete detail as she had to really stretch herself to clean the upper shelves since she was short in height. That time I could clearly see her balls slipping out of the small blouses which were torn under the armpits and other areas and the buttons or hooks were broken. She never wore any bra like a typical village girl. She knew when I was looking at her in these positions. I suppose she liked the attention she was getting. The saree was also always tied far below the waist and navel and the lower hem of the saree was also pulled up above the knees for ease during cleaning. When she wiped the floor in squatting position she spread her legs widely to give a free view of her beautiful dark pussy. She was dark in complexion with oily and smooth skin smelling of a truly erotic odour.

I had lost all my patience by letting Kajal turn me on by only the visual and other sensual seductive traits. Now I wanted to actually feel that hot body of hers and fuck her hard, real hard. First thing I did was to change her timing to evening after 5pm instead of morning. She was very comfortable with the change of timing. In fact she came looking more fresh in the evenings because I knew she used to rest in the afternoons and have a bath in the evening before coming to our office. I had gifted her some perfumes which she had started using and making herself more tempting. I had been hinting the 5 other sex maniacs in our office on how we should work out the plan.

We had fixed one day when the boss was to fly abroad and it was a bank holiday. Our office was also not supposed to be open but the 5 of us pretended that we were working that day and asked her also to come that day. As usual Kajal came in but a little late. Instead of 5pm she came at 6pm. It had got quite dark outside already. I looked at her angrily and asked her why she was so late. The 4 others pretended to be busy with their work. She stretched her body in the most erotic style and yawningly said she overslept today in the afternoon and that’s why was late. Then I noticed her scratching her pussy and ass also, and then adjusting the boobs in the blouse. The broken buttons of the blouse got my eyes glued to the wide exposure of her heavy cleavage between the massive boobs. She pulled the fall of the saree (the part that covers the breasts) squeezing in between the boobs.

This way her boobs were sticking out more prominently with the big pointy nipples penetrating through the weak material of the blouse as there was also no bra. The saree around the waist had also slipped much below the navel almost revealing the upper end of the clit. I could see the sweat dripping from her face all the way down her bare chest and trickling through the blouse rolling down the stomach and into the pussy area. She knew I was savouring her eroticism and acted as if she was scared of my evil intentions. I took her in confidence by asking about her family and problems that she might be facing in life. As the conversation continued she felt more secure and comfortable in front of me. I was sitting in my cabin chair. She started getting into her emotional stories when I asked her to sit.

She sat on the floor. I lifted her by the hand and asked her to sit up. She felt shy but agreed. Being a village girl, instead of sitting on a chair she sat on my table. In this position her stomach and breasts were extremely close to my face. I could smell the sexy mixed odour of sweat and perfume from her body. It was very intoxicating. My dick shot up and pulse rate was increasing by the second. My hands were about to grab her fully and strip her naked when the 4 other guys turned up. She was completely lost in her emotional stories and thought the others had also come to pity her for her sad stories. The peon and the delivery boy stood behind each of her shoulders ready to hold her arms as was planned by us. The computer operator and the accountant stood near each of her legs to hold those.

Since I was being the boss at that moment, I was to have the privilege of inaugurating the grand rape of the sexy beauty of our office. As per the plan, we all helped her lie down on the table while the peon and the delivery boy pinned down her hands in their powerful claws. She was shocked and didn’t know what was happening. The two other guys from down held her feet tightly so that she couldn’t move one bit. She was even too shocked to scream or shout. I patted her and asked her to relax; assuring her that nothing bad will happen if she co-operated with us and that we will instead reward her well in the end if she satisfies all of us. She was speechless but her whole body was sweating like anything. I lit my cigarette and pulled off the fall of her saree uncovering her upper portion.

Then with the burning end of the cigarette I burned Kajal’s blouse little by little. It was such a sexy feeling as I did that. All the guys enjoyed seeing her breasts being revealed slowly in suspense. They had all started kissing and licking the parts that were close to them. The peon and the delivery boy were already tearing her blouse with their teeth and biting on her balls and nipples. I slapped them both to remind them that I and only I will be the first one to taste her delicious private parts. They looked at me like hungry starving street dogs. Meanwhile the computer operator and the accountant had not been sitting doing nothing. They had also nicely made preparations for me by unveiling her saree from the waist. Kajal was lying fully naked on my table oozing of all her sexual juices from every inch of the body making her smell and taste sexier than ever. We are all rubbing and massaging her every part so passionately that she also started to enjoy the experience. She was married 5 years ago but her husband had died 2 years back.

Therefore she did have some sex experience and was also hungry for it for 2 years. So she got motivated and co-operated with full willingness. The guys warmed her up more by licking and sucking on her deepest parts while I prepared to enter her soul. I also licked her massive tits and suckled on those juicy nipples endlessly as my dick was rubbing hard over her cunt. As I grabbed her by the armpits, I felt like I was possessed by an evil spirit. I scratched her whole frontal body with my slightly grown finger nails like a beast and was biting on her flesh from top to bottom. The others also got scared and tried to control me. I beat them all to the ground and sat on top of her as if she was only my property. Kajal looked at me in a very terrified way. Once again I began biting and chewing on her meaty flesh. My dick was right on top of her cunt and in its hardest erect position. I squeezed her balls and pulled her nipples mercilessly.

She cried and screamed loudly. But it was already 11pm and everything in the surrounding area was closed so no one could hear anything. I spread her legs as wide as I could, gnashing on the tender lower lips with my teeth like an animal as I pushed my tongue deep into the cunt. My hands were still kneading hard on her swollen boobs. After chewing on her cunt’s sweetness for a long time my teeth continued biting as my mouth reached her boobs. My teeth went on chewing the flesh off her breasts as I carefully inserted the head of my dick into her pussy. With very slow movements my dick advanced further into her pussy, deeper and deeper with each stroke.

She again was enjoying the sensational pleasure till she reached the orgasm. I realised I had suddenly become very gentle on her. Once again I thrusted my dick with the power of a thousand bulls from hell and carried on banging till her cunt felt like it had torn apart wide enough to welcome a cargo train into it. The flesh of her cunt was burning as hot as fire. I didn’t stop biting and chewing on her upper fleshes till she cried and begged me that she was also thirsty and she wanted to drink something. I asked her to close her eyes and open the mouth. She did that and I poured all my cum into her mouth. Covering her eyes with my hands I asked her how she liked it. She was very thrilled.

She said it was very delicious and asked what it was. I asked her if she wanted more and she greedily asked for more. I opened her eyes and showed her my dick oozing of the cum. She was shocked to know what she had drunk. But she loved the taste so much that she didn’t mind swallowing more. I told her she should rub my dick to generate more of that. She desperately rubbed and massaged my dick and drank it faster than the flow. Actually she even sucked out whatever was left inside. Then I wanted to give the other guys also their chance. So as she sucked and chewed on my dick, the other guys used her front and back holes to fuck her in every possible style. By morning we were all exhausted at the same time filled with a new energy and hope to get a good fuck whenever we needed it within the office premises.

Woh Saat Din

Main aksar jab bhabhi se related koi sex story padta tha to sochta tha kee aisa bhi hota hain kee koi apni bhabhi joki uske bhai kee personal property hain us par daka daal sakta hain aur bhabhi jo maan saman hoti hain ko chod sakta hain. Jabkee uska bhai usse puri tarah apna maal samajh kar uskee chut chodta ho uskee chuchiyan masalta ho to bhabhi devar ya jeth se kyun chudwai gee. Yeh meri soch thee. . . par ab nahin hain kyonki aisee ek chut mujhe chodne ko milee to maine jaana kee log kitna sach sochte aur likhte hain.


To sb se pehle apna parichay main 8 bhai behano main sab se chhota naam hain Vijay aur iss samay kareeb 22 saal ka hoon mera bada bhai jiski wife Kamla ka main jikar karne jaa raha hoon kareeb 35 saa kee hain. Mere bhai ka murder ho gaya tha Bihar ke ek gaon main aur Hum log pura parivar uskee lash lene ke liye bihar gaye chunki wahi par unka antim kirya karam hona tha iss liye pura parivar saath gaya tha. Antim kiryakaram kar sab log wapas aa gaye par bhabhi Kamla bolee kee woh “Gaya jee” main pind daan karne tak rukengee. So mere pitajee ne yeh jimmewaari mujhe sonpi kee tab tak bhabhi ke saath main rahoon aur woh sab log Delhi vapas aa gaye.

Hum log ek dharamshala main ruk gaye. Aur apne Khandaani Pande ke pass gaye usne kuch samaan aur kapde mangwaye jo main bazar se khareed laya . Kuch rasame usne bataiyee Jo bhabhi jee ko puree karne thee. Usme se ek rasam aise thee kee bhabhi jee ko sanaan kar jo kapde pahnane the woh anti din tak pahan ke rakhne the woh kapde the ek dhoti matra jo nayee aur kori ho. Usdin bhabhi jee ne Nadi main sanaan kar woh dhoti pehni Jisme se unka pura gila badan dikhayee de raha tha mere saath kamre main aa gayee. Thand ka mausam tha aur bhabhi jee ko kuchh aur pehnana nahi tha iss liye woh thand se kamp rahii thee main bazar gaya aur ek shaal lakar kora maine unke shareer par daal diya.

Thand ke karan unke nipples erect ho chuke the aur pura badan ek matra dhoti main nanga dikhayee de raha tha. mere shareer ke ander ek ajeeb see hulchu machi huee thee us gadrayee badan ko dekh kar aur mera lund aape main nahi tha par kaya karoon ek taraf bhabhi ka nanga badan unkee chuchiyan aur dher see jhaante dikhayee de rahee thee aur meree halat kharab thee, maine pehlee bar lund main aisa uthan mehsoos kiya thaa warna main aur meri kitaabe aur duniya main kuch nahi dekhayee deta tha. par aaj sexy bhabhi ki chuchiya, jhanto se dhakee hue choot aur kafi mote erect nipples, oh y god mera kya hoga aaj soch kar pareshan tha. Bhabhi bhi meri halat dekh kar preshan thee kee devar jee ko kaya ho gaya hain.

Bhabhi ke liye main khana laya aur apne hathon se khia raha tha aur mere hath unkee chuchiyon ko touch kar rahe the kabhi nipples aur kabhi puri chuchi mere hath se takra jaati. aur dhoti ke ek kone se mera lund ko dekh kar bhabhi muskura rahee thee aur achanak bolee

“lala kabhi mujhe pehle iss tarah nahi dekh naha kar nikalete hue”

“nahi bhabhi kabhi meri nazar nahi uthe aapkee taraf”

“to aaj kaya ho gaya hain kayun dekh raha hain”

“Bhabhi mujhe kabhi apnee kitabo se phursat mile tab na”

“main to apnee duniya main mast rehta hoon”

“par aaj aap samne ho bilkul nangi , mera man machal raha hain”

“kuch kuch hota hain , lund kee taraf ishara kar ke yahan”

‘achha jee mere devar ko lagta hain chudas laagi hain”

“woh to hain bhabhi,Pehli baar aisa hua hain”

“Koi baat nahi jane wala to chala gaya tumhe niraash nahi karungoo devar jee”

meri achhi bhabhi kah kar main unse lipat gaya ab mujhe unki chuchiyon kee
garmi mahsoos hone laagi aur mere tan badan main bhi aag lag gayee. Main bhabhi ka ek matra parda unka pallu bhi gira diya to unke nangeee chuchiya mere badan ko chhune lagee aur mujhe ajeeb sa mza aane laga. Kamre main dim light jal rahee thee aur kamre main bhabhi ke badan kee halki halki see khushboo aane lagee. Kamra sex room ke roop main badal gaya thaa aur main aur meri bhabhi dono chudai ke liye taiyyar the. itne main bhabhi ne meri banyain khol dee aur mere badan ko chumne lagi unka ek ek chumban mere badan main 440 wolt ka current pass kar rahi thee.

unhone mujhe muh se chumban dene ke baad dheere dheere badan par bahut heee bechaine se chum rahee thee aur mere tan badan ko aag laga rahee thee ke achanak mera haath unkee dhotee kee ganth par chala gaya maine usse khol diya aur bhabhi bilkul hee nangee ho gayee. Isse jhonk main unhone meri dhoti kee ganth khol dee aur mera 7 inch ka tna hua land unke haath main tha. jisse woh majhe se sahlane lagee. maine unkee chuchiyo main muh daal diya to woh siskane laagee halki halki se siskariya unhone lenne shuru kar dee.

chunki ab bardast ke bahar tha to maine unko palang par lita diya aur unke taange khol dee aur unke gateway of india par apna land rakh diya aur jor se dhaka mara. Bhabhi kah uthee wah re mere devar chudai aati hain par nakhare bhi bahut kar raha hain chal jor jor se dhake laga . Bhabhi kee baatien mera hoshla bada rahee thee aur maine jor jor se dhake lagana shuru kar diye aur bhabhi maze se mimyane lage aur ahhhhhhhhhh auuuuuuuu ohhhhhhhh. . . karte hue maza lene lagee. chunki meri pahli baar thee main bahut aanandit ho raha thaa. maine mehsoos kiya kee mere andar se kuchh nikalane wala hain to main ess baat kee soochna bhabhi ko dee woh bolee jo nikalata hain nikalane do.

mujhe pura maaza lene do mere deverjee. Itne main main jhad gaya aur bhabhi ke upper hee chit hokar pad gaya. bhabhi bhi thodi jaddojahad ke baad jhar gayee aur hum log ik dusre ke upper ghanto pade rahe. mera muh unki chuchi par hee that aur woh mere badan ko dabe padee hue thee. ek do ghante ke baad mere badan main phir hulchul ho gayee aur loda puree tarah khada ho gaya ab bhabhi se puchane kee zaroorat nahi thee aur nangee padi bhabhi kee taange khol kar phir sepel diya bhabhi chupchap anad lene lagi.

agle saat din kaise beete pata nahi par jab ghar wapas jaane kee baat aaye to hum dono ro pade. . . . . aage ka soch kar. . . bhabhi ne kaha main ab ghar chhod apne maa baap ke pass chalee jayoongi tum aate rehna aur chudai hotee rahegee. yehi soch kar hum log gadi pakar kar ghar aa gaye.

Woh saat din meri zindagi ka behtareen lamhe the. . . .